Amitabh Bachchan Birthday: अपनी आवाज के कारण कई बार रिजेक्ट हुए अमिताभ को लंबाई के कारण मिली पहली फिल्म


मुंबई, स्मिता श्रीवास्‍तव। इस तथ्य से अधिकांश लोग परिचित हैं कि अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म सात हिंदुस्‍तानी है, परंतु संभवत: यह बात कम लोग ही जानते होंगे कि गोवा संघर्ष की कहानी का आइडिया निर्देशक ख्‍वाजा अहमद अब्‍बास को अपने सहायक मधुकर से आया था। मधुकर उन्‍हें अपनी ट्रैकिंग के दौरान की रोमांचक बातें बताते थे कि कैसे वे अहिंसक कमांडोज के साथ रास्‍ते में आने वाले हर पुलिस स्टेशन पर तिरंगा फहराते थे। उन्हें इसे गुप्त रूप से करना होता था, क्‍योंकि उन्‍हें पणजी पहुंचना था जहां सार्वजनिक रूप से ध्वजारोहण कर सकें और अंत में उन्हें बंदी बनाया जाए। ख्‍वाजा ने इसे हमारे स्वतंत्रता के संघर्ष के महाकाव्य के रूप में देखा, क्योंकि कमांडो भारत के सभी हिस्सों से आए थे।

यह राष्ट्रीय एकता की मिसाल थी। ऐसे में सात हिंदुस्‍तानी की अपनी पटकथा समाप्त करने के बाद वह काफी उत्साहित थे। उन्‍होंने फिल्‍म में मधुकर की वास्तविक जीवन की साहसिक कहानी के मूल 11 कमांडो के बजाय घटाकर सात कर दिया था। सात रखने के पीछे उनका मानना था कि यह पौराणिक है। दरअसल, इंद्रधनुष में सात रंग हैं। कोई भी हिंदू विवाह यज्ञ की “सात परिक्रमा” के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है।

अमिताभ ने बहुत सादगी से कहा…

बहरहाल, इस फिल्म के लिए छह प्रमुख किरदारों को तो चुन लिया गया, परंतु अमिताभ बच्चन वाले किरदार का चयन नहीं हो पाया था। संयोगवश अमिताभ बच्चन की किसी प्रकार से ख्‍वाजा से मुलाकात करवाई गई। ख्वाजा ने पूछा, ‘क्या आपने पहले कभी फिल्मों में काम किया है?’ अमिताभ ने बहुत सादगी से कहा, ‘मुझे अब तक किसी ने नहीं लिया है।’ यह सुनते ही ख्वाजा ने पूछा, ‘वे लोग कौन थे?’ अमिताभ ने कुछ प्रमुख नामों का उल्लेख किया। ख्‍वाजा ने फिर पूछा, ‘उन्होंने आपके साथ क्या गलत पाया?’ अमिताभ ने दो टूक कहा, ‘उन सबने कहा कि मैं उनकी नायिकाओं के लिए बहुत लंबा हूं।’ इस पर ख्‍वाजा ने कहा, ‘ठीक है, हमें ऐसी कोई परेशानी नहीं है। एक तरह से हमारी फिल्म में कोई हीरोइन नहीं है।’ यह सुनकर उत्‍साहित अमिताभ ने कहा, ‘क्या आप सच में मुझे अपनी फिल्म में ले रहे हैं? बिना टेस्‍ट के?’ इसका जवाब ख्वाजा ने इस रूप में दिया कि पहले वह उनका किरदार तय करेंगे, उसके बाद उनका पारिश्रमिक भी तय होगा।

अमिताभ बच्चन, सन आफ डा. हरिवंश राय बच्चन

ख्‍वाजा ने उन्‍हें पूरी कहानी पढ़कर सुनाई और देखा कि उनके चेहरे पर काफी उत्‍साह था। ख्‍वाजा ने अमिताभ से पूछा, ‘आप कौन सी भूमिका निभाएंगे?’ अमिताभ ने कहा कि उन्हें दो किरदारों ने बहुत प्रभावित किया। फिर अंत में उसी दोनों में से एक किरदार तय हुआ। जब पारिश्रमिक तय करने की बात आई तो ख्‍वाजा ने कहा कि वह उन्‍हें पांच हजार रुपये से अधिक नहीं दे सकते। यह बात वर्ष 1968 के आसपास की होगी। उस फिल्म में सभी भूमिकाओं के लिए यह एक मानक पारिश्रमिक था। अमिताभ थोड़ा झिझके। इस पर ख्‍वाजा ने पूछा कि क्‍या आप इससे ज्‍यादा कमा रहे हैं तो उन्‍होंने बताया कि वह 1600 रुपये प्रति महीना कलकत्ता (अब कोलकाता) में कमा रहे हैं। अमिताभ ने जब यह बताया कि उन्‍होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और बंबई (अब मुंबई) आ गए हैं तो ख्‍वाजा चौंक गए। उन्‍होंने कहा, ‘मान लीजिए हम आपको भूमिका नहीं दे सकते?’ तब अमिताभ ने कहा कि इस तरह के चांस लेने पड़ते हैं। उन्‍होंने अपनी बात इतनी दृढ़ता के साथ कही कि ख्‍वाजा उससे प्रभावित हुए। फिर उन्‍होंने अपने सचिव को अमिताभ के साथ अनुबंध को कानूनी रूप दिए जाने के लिए कहा। अपना पूरा नाम पूछे जाने पर उन्‍होंने कुछ झिझकते हुए कहा, “अमिताभ बच्चन, सन आफ डा. हरिवंश राय बच्चन।” यह सुनकर ख्‍वाजा चौंके।

आज के युवा भी अमिताभ से सीख ले सकते हैं

दरअसल ख्वाजा हरिवंश राय बच्चन के साथ एक पुरस्कार समिति में शामिल थे, लिहाजा उन्होंने उनसे भी सहमति लेने की बात कही। ख्वाजा इस बात से संतुष्ट होना चाहते थे कि कहीं अमिताभ अपने पिता की इच्छा के बिना तो फिल्म जगत में नहीं आना चाहते हैं। हरिवंश राय बच्चन की सहमति मिलने के बाद अमिताभ को इस फिल्म में शामिल कर लिया गया। इस प्रकार से अमिताभ बच्चन की फिल्‍मों में एंट्री हुई। एक महीने या उससे अधिक समय तक ख्‍वाजा ने उन्हें उर्दू के अलग-अलग शब्दों के उच्चारण आदि के संदर्भ में प्रशिक्षण दिया जो उन्हें फिल्म में संवाद के दौरान सहयोग करते। इस प्रकार से अमिताभ बच्चन की पहली बार फिल्मों में आने की राह खुल गई। बहरहाल, सात हिंदुस्तानी फिल्म में अमिताभ बच्चन का अभिनय बहुत ही शानदार था। इस फिल्‍म ने राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फिल्‍म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता था। इस फिल्म की सफलता के बाद से अमिताभ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज जीवन के आठ दशक पूरे करने के बावजूद उनमें इतनी ऊर्जा है और वह इसका उपयोग भी करते हैं, जिससे आज के युवा भी सीख ले सकते हैं।



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