Aspirants 2 Review: मन मोह लेती है कलाकारों की सहजता, अपनी सी लगती है अभिलाष और संदीप भैया की कहानी
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सिनेमाघरों में इस शुक्रवार ट्वेल्थ फेल (12th Fail) रिलीज होने वाली है। इस फिल्म की कहानी आइपीएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा के जीवन से प्रेरित है। जीवन संघर्ष और सिविल सर्विसेज के लिए उनकी तैयारी दिखाने के क्रम में कहानी दिल्ली के मुखर्जी नगर में पहुंच जाती है।
संयोग है कि 12th फेल से चंद रोज पहले सिविल सर्विसेज की तैयारियों की आपाधापी दिखाती वेब सीरीज एस्पिरेंट्स का दूसरा सीजन (Aspirants Season 2) रिलीज हो गया है, जिसके पहले सीजन का बड़ा हिस्सा दिल्ली के राजेंद्र नगर में गुजरा। दिल्ली के ये दोनों इलाके सिविल सर्विसेज (UPSC) और प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग करने वालों का गढ़ माने जाते हैं।
एस्पिरेंट्स 2 सफलता, विफलता, दोस्ती और रिश्तों के बदलने की समीकरण दिखाती है। पहला सीजन जहां कोचिंग, करियर और पढ़ाई की चिंताओं में गुजरा, वहीं दूसरा सीजन जीवन के अगले पड़ाव पर लेकर जाता है, जहां एक-दूसरे से अपेक्षाओं और उम्मीदों के टूटने की भी कहानी है। पहले सीजन के मुकाबले सीजन 2 दुनियादारी को करीब से दिखाता है। एग्जाम पास करके अधिकारी बन जाने से मुश्किलें खत्म नहीं होतीं।
क्या है एस्पिरेंट्स सीजन 2 की कहानी?
दूसरे सीजन की कहानी चारों मुख्य किरदारों अभिलाष शर्मा, गुरप्रीत सिंह गूरी, श्वेतकेतु झा यानी एसके और संदीप सिंह ओहलान यानी संदीप भैया की जिंदगी के अगले पड़ाव हो दिखाती है। अभिलाष की पोस्टिंग रामपुर के डीम पद पर हो चुकी है। गुरप्रीत अपनी आर्थिक समस्याओं से घिरा है।
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पत्नी धैर्य के साथ वो सरकार कॉन्ट्रैक्ट लेने की कोशिश कर रहा है। संदीप भैया की पोस्टिंग पीसीएस अफसर के पद पर हो चुकी है। एसके इन सबके बीच पिस रहा है। अभिलाष की सफलता और अपनी विफलता के बीच वो सही तस्वीर देखने की कोशिश कर रहा है।
कैसा है स्क्रीनप्ले और अभिनय?
दूसरे सीजन की कहानी को पांच एपिसोड्स में फैलाया गया है, जिनके शीर्षक सेल्फ स्टडी, स्ट्रैटजी, मरफीज लॉ, मॉक इंटरव्यू और फाइनल इंटरव्यू हैं।
टीवीएफ की सभी सीरीज की खासियत इनकी सहजता होती है, जो कहानी के विस्तार से लेकर किरदारों के कैरेक्टर ग्राफ तक में नजर आती है, जिनके साथ दर्शक आसानी से जुड़ जाता है। मध्यमवर्गीय परिवारों में जन्मे बच्चे जिन चिंताओं और आकांक्षाओं की जिम्मेदारी लेकर बड़े होते हैं, वो दर्शक को कहानी के करीब ले आता है।
एस्पिरेंट्स भी ऐसी ही कहानी है, जिसके किरदारों से हर वो शख्स कनेक्ट करता है, जिसने कभी प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग की हो। जिस तरह से ये किरदार गढ़े गये हैं, वही एस्पिरेंट्स के दोनों सीजनों की रीढ़ है। अभिलाष शर्मा उस नौजवान का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका सपना आइएएस बनना होता है और जब वो उस
कुर्सी पर बैठ जाता है तो अपनी विजन को लागू करना चाहता है, मगर राजनीति और लालफीताशाही की अपनी ही रफ्तार होती है। संदीप भैया ऐसा किरदार है, जो दोस्तों के साथ अभी भी वही रोल निभा रहा है, जो कोचिंग के समय था। गुरप्रीत और एसके प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल रहने वाले नौजवानों और अपने साथियों की ओर देखकर मन में चल रही उथल-पुथल का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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नवीन कस्तूरिया, सनी हिंदूजा, शिवांकित सिंह परिहार और अभिलाष थपलियाल ने अपने-अपने किरदारों में जान डाल दी है। दूसरे सीजन की कहानी के अनुरूप किरदारों में जो बदलाव आने चाहिए, उन्हें कलाकारों ने कामयाबी के साथ निभाया है। यह कलाकारों का अभिनय ही है, जो दर्शक को बांधे रखता है।
एस्पिरेंट्स सीरीज के निर्देशक अपूर्व सिंह कार्की ने कहानी के दायरे में सभी कलाकारों की प्रतिभा का भरपूर उपयोग किया है। पहले सीजन की रिलीज के समय अपूर्व का नाम भले ही दर्शकों को नया लगा हो, मगर मनोज बाजपेयी अभिनीत फिल्म सिर्फ एक बंदा काफी है के बाद उनकी पहचान बदल चुकी है।